ट्रांसपोर्ट लाइन को थोड़ी राहत दें सरकार : transporter-parmeet-singh

परमीत सिं‍ह जी पंजाब के फगवाड़ा के रहने वाले है। इन्‍होंने एक ट्रक के साथ काम की शुरूआत की थी। इन्‍होंने एक ट्रक के साथ काम की शुरुआत की थी। अपनी मेहनत के बल पर इन्‍होंने छह साल  में चार ट्रक बना लिए। इनका कहना है कि यह इस बिजनेस मे खुद गाडी चलाकर सक्‍सेज हुए। करीब दो साल तक इन्‍होंने खुद ट्रक चलाया। इसके बाद जब ट्रक और ले लिए तो ड्राइवरी बंद कर दी। इनका कहना है कि जब से काम की शुरूआत की है तब से लेकर अब तक यह देखने को मिला है कि अब काम काफी कम हो गया है। इनका कहना है कि ट्रांसपोर्ट बिजनेस के ऑनलाइन होने से पढे लिखे को ही फायदा हो रहा है। ट्रांसपोर्टस बिजनेस में ब्रोकर लोग ट्रांसपोर्ट की कमाई खा जाते है। आनलाइन कंपनियों के आने से इनका काम प्रभावित हुआ है, लेकिन अभी भी ज्‍यादातर काम ब्रोकर ही कर रहे है। इनका कहना है कि इस लाइन में जो लोग पढे लिखे है, वे आनलाइन कंपनियों से जुड़कर काम कर रहे है। कोई ऐसी स्की भी हाेनी चाहिए जिससे कम पढे लिखे लोग भी अनलाइन कपंनियों से जुड़ सके।  इनका कहना है कि ई वे बिल का इस लाइन में फायदा हुआ है। इसे समय बच जाता है। गाड़ी जल्‍दी वापस आ जाती है। ड्राहवर को आराम करने का समय मिल जाता है। इनका कहना है कि ओवरलोड गाडी मे नही होना चाहिए। इनका कहना है कि तीन का माल एक गाडी में जाता है। इनका सुझाव है कि ब्रोकर को खत्‍म करने का एक सिस्‍टम बनना चाहिए जिससे की यह पैसा न खा सके और सीधा फायदा ट्रांसपोर्टस को ही होना चाहिए। इनकस सुझाव है कि सरकार टैक्‍स और इंश्‍योरेंस के रेट कम करें। सरकार को चाहिए कि ट्रांसपोर्ट लाइन को थोड़ी राहत दें।

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