Transporter लाइन में पढे लिखे लोग आने से ONLINE काम बढा : संजीव

कुरुक्षेत्र के रहने वाले संजीव युवा ट्रांसपोर्टर है और 9 साल से इस लाइन में है। संजीव जी कंपनियों के लिए गाडियां बुक करवाते है। इस लाइन के बारे में उन्‍हें काफी नालेज है। संजीव जी ने truck suvidha के साथ अपने अनुभव और सुझाव शेयर किए। आइए जानते है क्‍या कहते है संजीव …
संजीव जी का कहना है कि जीएसटी लगने के बाद ट्रांसपोर्ट लाइन में  indirect चेंज आया है। वो कैसे मैं आपको बताता हूँ जीएसटी लगने के बाद काफी सारी कंपनियां बंद हो गई है। देश में ज्‍यादातर छोटी छोटी कंपनियां है जो कि जीएसटी की वजह से बंद हो गई है और इतनी सारी कंपनियां बंद होने की वजह से ट्रांसपोर्ट बिजनेस पर भी असर पडा है। इसके अलावा अब आनलाइन काम ज्‍यादा हो गए है। मेन्‍यूल काम कम हो गया है।
संजीव जी कहते है कि वैसे ट्रांसपोर्ट के बिजनेसमेन कम पढे लिखे होते है। लेकिन अब पढे लिखे लोग भी इस लाइन में काम कर रहे है। पढे लिखे लोग अपने तरीके से काम करते है, जैसे वे आनलाइन ज्‍यादा पंसद करत है इससे ट्रांसपोर्ट लाइन में आनलाइन काम बढा है। इसे समय और पैसा बचता ही है। ट्रांसपोर्टर को भी फायदा हो रहा है। संजीव जी का कहना है कि अब बिल्‍टी लगाने वाले भी ब्रोकर का काम करते है और वे ही गाडियां बुक करवाने का काम करते है। कहने का मतलब है एक ही इंसान तीन तरह के काम में पड जाता है। नोलेज उसे ठीक प्रकार से एक काम की भी नही होती। संजीव जी कहते है कि इस लाइन में खर्चे काफी बढ गए है, लेकिन उस लिहाज से भाडा नहीं बढा। हां, गाडियों में टन की मात्रा बढने से भाडा तो बढा है। लेकिन खर्चे भी उतने ही बढे है। संजीव ओवरलोड को सही नही मानते है। उनका कहना है कि इससे गाडी की मेनटेनेंस बढ जाती है। उनका सुझाव है कि इस लाइन का व्‍यक्ति एक ही काम करें, चाहे बिल्‍टी लगाने का काम कर रहे है तो बिल्‍टी ही लगाए दूसरा अगर बुकिंग का काम करते है तो बुकिंग का काम ही करे। तीसरा अगर ब्रोकर का काम करते है तो ब्रोकर का ही काम करे। इस तरह से ट्रांसपोर्टस के काम में दिक्‍कत नही होगी और काम आसानी से और बेहतर तरीके से चल सकेगा।

 

 

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