माल की केटागिरि के हिसाब से टैक्‍स लगना चाहिए : transporter-nikhil-sharma

निखिल शर्मा जी अमृतसर के रहने वाले है। इन्‍हे  सात से आठ साल ट्रांसपोर्टस  का काम करते हो गए है। एक ट्रक से इन्‍होंने काम की शुरूआत की थी। वे मोबाइल कंप्‍यूटर और इंटरनेट का प्रयोग करते है और ट्रक सुविधा डॉट कॉम से जुडे हुए है। इनका कहना है कि अब ट्रांसपोर्ट लाइन का काम आनलाइन हो गया है। हर काम आनलाइन हो जाता है। अब माल भी आनलाइन मिल जाता है और पेमेंट भी आनलाइन हो जाती है। ई वे बिल से काम काफी आसान हो गया हे। इससे बार्डर पर समय खराब नहीं होता है। पहले बार्डर पर कागज चेक करवाने में कई कई घंटे लग जाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। जीएसटीलगने के बाद काम एक नंबर का हो गया है।इनका कहना है कि गाडियों में वजन को लेकर चेंज आया है। गाडियों में टन के हिसाब से माल गाडी में जाता है अब गाडियों में टनों की मात्रा बढा दी गई है। अगर टन के हिसाब से माल हाईट में चला जाता है तो पनेल्‍टी पडती है। इनका मानना है कि डीजल के रेट बढने से भाडा बढना चाहिए। वे गाडियों में ओवरलोड को सही नही मानते है। इनके अनुसार ट्रांसपोर्ट के बिजनेस में दिक्‍कते कई हैं। एक तो गाडिया समय पर नही पहुंच पाती है। भाडे नही बढते है और ऊपर से पुलिस वाले भी तंग करते है। बार्डर की एंटरी पर 1100 से लेकर 1700 रूपए एंटरी फीस मांगते है। एमपी बार्डर पर ज्‍यादा तंग किया जाता है। वे सरकार से चाहते है कि एक तो डीजल के रेट कम होने चाहिए और जो माल लोड किया है उसकी केटागिरि बननी चाहिए ताकि कच्‍चा माल अलग हो सके। माल की केटागिरि के हिसाब से रेट फिक्‍स होने चाहिए भाडे के , यदि माल कच्‍चा है तो उसकी अलग केटागिरि बननी चाहिए और मेटल का माल है तो उसकी अलग केटागिरि बननी चाहिए। माल की केटागिरि के हिसाब से टैक्‍स लगना चाहिए।

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